
नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए हालिया आतंकी हमले के बाद पूरे देश में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। इस घटना के बाद केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, गृह मंत्रालय ने 7 मई को देशव्यापी मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्णय लिया है।
मॉक ड्रिल क्या होती है?
मॉक ड्रिल एक योजनाबद्ध अभ्यास होता है, जो आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। इसका उद्देश्य यह जांचना होता है कि संकट की स्थिति में आम लोग, संस्थाएं और सुरक्षा एजेंसियां कितनी जल्दी और सही ढंग से प्रतिक्रिया देती हैं। इसे हिंदी में ‘पूर्वाभ्यास’ कहा जाता है।
मॉक ड्रिल के प्रकार
मॉक ड्रिल विभिन्न आपदाओं के आधार पर की जाती है—
आग लगने की स्थिति में अग्निशमन अभ्यास
भूकंप की स्थिति में भवन खाली कराने का अभ्यास
बाढ़, महामारी या आतंकी हमलों के दौरान सुरक्षा व बचाव प्रक्रिया का परीक्षण
कैसे होती है मॉक ड्रिल?
मॉक ड्रिल से पहले एक विस्तृत योजना बनाई जाती है। इसमें तय किया जाता है कि किस आपदा पर अभ्यास होगा, कौन-कौन शामिल होंगे, किन संसाधनों की जरूरत पड़ेगी और अभ्यास का उद्देश्य क्या है। तय समय पर जब मॉक ड्रिल शुरू होती है, तो प्रतिभागियों को पूर्व सूचना दिए बिना शामिल किया जाता है ताकि उनकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया को देखा जा सके।
उदाहरण के तौर पर, अगर आग लगने की स्थिति की मॉक ड्रिल हो रही है तो जैसे ही अलार्म बजेगा, सभी को तय मार्ग से बाहर निकलना होगा और फायर ब्रिगेड, मेडिकल टीम आदि की त्वरित प्रतिक्रिया का आकलन किया जाएगा।
मॉक ड्रिल से होने वाले फायदे
आम जनता और कर्मचारियों में आपदा के प्रति जागरूकता बढ़ती है।सिस्टम की कमजोरियों की पहचान होती है जिन्हें सुधारने का मौका मिलता है।
आपातकालीन सेवाओं—जैसे पुलिस, फायर ब्रिगेड, मेडिकल टीम—के बीच समन्वय बेहतर होता है।
लोगों को सिखाया जा सकता है कि संकट की घड़ी में उन्हें क्या करना चाहिए।
मॉक ड्रिल कहां की जाती है?
मॉक ड्रिल का आयोजन विभिन्न स्थानों पर किया जाता है जैसे—
स्कूल और कॉलेज
अस्पतालमॉल और फैक्ट्रियां
रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट
सरकारी कार्यालय
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) भी ऐसी ड्रिल्स को बढ़ावा दे रहे हैं।