
नई दिल्ली: भारत सरकार ने आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में पाकिस्तान की लापरवाही को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर उजागर करने की तैयारी कर ली है। इसके लिए एक विस्तृत डोजियर तैयार किया जा रहा है, जिसे जून 2025 में होने वाली FATF (Financial Action Task Force) की बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा।
आतंक के खिलाफ कार्रवाई में विफल पाकिस्तान
भारत का कहना है कि पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए हैं। यही कारण है कि उसे फिर से FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल किया जाना चाहिए।
FATF के समक्ष पेश होगा प्रमाणों से भरा डोजियर
भारत द्वारा तैयार किया गया डोजियर पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग को नजरअंदाज करने वाले कई प्रमाणों पर आधारित होगा। इसमें हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का भी जिक्र किया जाएगा, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी।
अंतरराष्ट्रीय फंडिंग पर भी भारत की आपत्ति
भारत न सिर्फ FATF में पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाएगा, बल्कि IMF द्वारा पाकिस्तान को दिए गए $1 बिलियन और विश्व बैंक द्वारा प्रस्तावित $20 बिलियन के फंडिंग पैकेज का भी विरोध करेगा। भारत का मानना है कि इस फंडिंग का दुरुपयोग आतंकवाद के लिए किया जा सकता है।
पाकिस्तान का पुराना रिकॉर्ड
पाकिस्तान पहले भी FATF की ग्रे लिस्ट में रह चुका है—2008, 2012–2015 और 2018–2022 के दौरान। अक्टूबर 2022 में इसे अस्थायी रूप से ग्रे लिस्ट से बाहर किया गया था, लेकिन तब भी FATF ने उसे चेतावनी दी थी कि वह निगरानी में बना रहेगा।
निष्कर्ष: अंतरराष्ट्रीय मंच पर दबाव की रणनीति
भारत का यह प्रयास पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर बेनकाब करने और उसे आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से कार्रवाई के लिए बाध्य करने की रणनीति का हिस्सा है। FATF बैठक में पेश किया जाने वाला डोजियर और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की फंडिंग का विरोध, इस दबाव नीति के मुख्य हथियार होंगे।