
नोएडा: अगर आप झोलाछाप डॉक्टर से इलाज करवा रहे हैं, तो सतर्क हो जाएं। कई झोलाछाप केवल सिरिंज की सुई बदलते हैं, लेकिन पूरी सिरिंज नहीं बदलते। इससे संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
जब एक ही सिरिंज से कई मरीजों को इंजेक्शन लगाया जाता है, तो पिछले मरीज के खून में मौजूद वायरस, जैसे हेपेटाइटिस बी और सी, अगले मरीज के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
120 मरीजों में 24 की हिस्ट्री में सामने आया झोलाछाप से इलाज
जनपद में इस वर्ष अब तक 120 मरीजों में हेपेटाइटिस बी और 267 मरीजों में हेपेटाइटिस सी की पुष्टि हुई है। इनमें से 24 मरीजों ने यह कबूला कि उन्होंने झोलाछाप से इंजेक्शन लगवाए थे, जिसके कुछ दिन बाद वे वायरस की चपेट में आ गए।
महंगा इलाज, मुफ्त सुविधा दे रहा स्वास्थ्य विभाग
हेपेटाइटिस के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम चला रहा है। इसके तहत मरीजों की मुफ्त जांच और इलाज की सुविधा दी जा रही है। एक मरीज की जांच में औसतन 7-8 हजार रुपये और इलाज में 65 से 70 हजार रुपये तक खर्च हो रहा है, जिसे सरकार वहन कर रही है।
कैसे फैलता है हेपेटाइटिस बी और सी
हेपेटाइटिस लिवर को प्रभावित करने वाला खतरनाक संक्रमण है। हेपेटाइटिस-बी और सी दूषित खून के संपर्क से फैलते हैं।
यह निम्न कारणों से फैल सकता है:
संक्रमित व्यक्ति से इंजेक्शन या सुई साझा करने से
बिना सेनेटाइजेशन के टैटू बनवाने या कान छिदवाने से
असुरक्षित यौन संबंध
एक ही शेविंग रेजर, नेल कटर का प्रयोग
पीड़ित मां से नवजात को संक्रमण
नसीहत: केवल पंजीकृत डॉक्टर से ही कराएं इलाज
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह है कि इलाज केवल पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर से ही कराएं। छोटी सी लापरवाही जानलेवा संक्रमण में बदल सकती है। सिरिंज पूरी तरह नई होनी चाहिए, केवल सुई बदलने से बचाव संभव नहीं।
निष्कर्ष
झोलाछाप डॉक्टरों की लापरवाही से बढ़ रहे हेपेटाइटिस के मामलों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। अब जरूरी है कि लोग जागरूक हों और केवल प्रमाणिक डॉक्टर से इलाज कराएं, ताकि जानलेवा वायरस से खुद को और दूसरों को बचाया जा सके।