
Infertility Causes and Treatment: आज से कुछ दशक पहले इनफर्टिलिटी यानी बांझपन को केवल उम्रदराज़ महिलाओं और पुरुषों की समस्या माना जाता था, लेकिन अब हालात तेजी से बदल रहे हैं.
हैरान करने वाली बात ये है कि अब 20 से 25 साल के युवा भी प्रजनन संबंधी परेशानियों का शिकार हो रहे हैं. दिल्ली, मुंबई जैसे मेट्रो शहरों में यह समस्या और गंभीर रूप से उभर रही है.
मॉडर्न लाइफस्टाइल, अत्यधिक स्ट्रेस, खानपान में गिरावट और बिगड़ता पर्यावरण युवाओं की फर्टिलिटी को सीधे प्रभावित कर रहा है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यदि वक्त रहते लाइफस्टाइल और आदतों में बदलाव नहीं किया गया, तो यह समस्या और विकराल हो सकती है.
काम के प्रेशर और बिगड़ी दिनचर्या बना रही है इनफर्टिलिटी की जड़
तेज रफ्तार ज़िंदगी में युवाओं पर करियर और परफॉर्मेंस का भारी दबाव है. देर रात तक जागना, स्क्रीन टाइम ज़्यादा होना और अनहेल्दी फूड्स की आदतें, युवाओं की प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंचा रही हैं.
डॉक्टरों के मुताबिक, महिलाएं जब करियर को प्राथमिकता देकर देर से शादी और फैमिली प्लानिंग कर रही हैं, तो उनकी फर्टिलिटी पर असर पड़ रहा है.
वहीं पुरुषों में स्मोकिंग, शराब, कैफीन और तनाव ने स्पर्म काउंट और क्वालिटी को गिरा दिया है.
प्रदूषण और रसायन भी बन रहे खतरा
डॉ. सुनीता के अनुसार, “आज के वातावरण में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है. प्लास्टिक उत्पादों में बिस्फिनोल-A, कीटनाशक और अन्य केमिकल्स प्रजनन क्षमता को बर्बाद कर रहे हैं.” ये रसायन हार्मोनल असंतुलन पैदा कर अंडाणु व शुक्राणु की गुणवत्ता और संख्या को प्रभावित करते हैं.
ट्रीटमेंट मौजूद हैं, लेकिन जागरूकता है ज़रूरी
इनफर्टिलिटी से जूझ रहे कपल्स के लिए मेडिकल साइंस में कई उन्नत विकल्प उपलब्ध हैं. IVF, IUI और ICSI जैसे ट्रीटमेंट आज बेहद कारगर साबित हो रहे हैं.
डॉ. सुनीता बताती हैं, “IVF में लैब में अंडाणु और शुक्राणु को मिलाया जाता है, जबकि IUI में शुक्राणु को सीधे महिला के गर्भाशय में डाला जाता है. ICSI में तो एक स्वस्थ शुक्राणु को सीधे अंडाणु में इंजेक्ट किया जाता है.”
एग-फ्रीजिंग और स्पर्म प्रिजर्वेशन बना सहारा
जो कपल्स अभी बच्चे की प्लानिंग नहीं करना चाहते, उनके लिए ‘फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन’ यानी एग्स और स्पर्म को फ्रीज करना एक बेहतर विकल्प है. बड़े शहरों में इसका चलन बढ़ रहा है.
बचाव आसान है, ज़रूरत है सही लाइफस्टाइल की
इनफर्टिलिटी को रोका जा सकता है यदि समय रहते लाइफस्टाइल में सुधार किया जाए. संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, योग, ध्यान और तनाव से दूरी – ये सब मिलकर प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं.
फोलिक एसिड, विटामिन D, जिंक जैसे पोषक तत्वों से भरपूर आहार फर्टिलिटी को बढ़ाता है. साथ ही 7-8 घंटे की नींद और मानसिक संतुलन भी बेहद अहम है.
निष्कर्ष:
युवाओं में इनफर्टिलिटी आज की एक खतरनाक सच्चाई है, लेकिन जागरूकता, समय पर इलाज और सही जीवनशैली के जरिए इससे बचा जा सकता है. यह न सिर्फ शारीरिक, बल्कि एक सामाजिक चिंता का विषय भी बन गया है, जिस पर खुलकर बात करने की ज़रूरत है.