
नई दिल्ली: भारत में आम को फलों का राजा यूं ही नहीं कहा जाता. गर्मी का मौसम आते ही आम खाने की चाह हर किसी में उमड़ पड़ती है.
लेकिन डायबिटीज के मरीजों के लिए यह चाह अक्सर अधूरी रह जाती है, क्योंकि आम में प्राकृतिक शुगर की मात्रा अधिक होती है.
अब इस दिशा में एक बड़ी और राहत देने वाली पहल बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर (BAU) की ओर से की जा रही है.
बीएयू एक ऐसी किस्म के आम की तलाश में जुटा है जिसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम हो और जो डायबिटिक पेशेंट्स के लिए भी सुरक्षित हो.
विश्वविद्यालय की टेस्टिंग एंड सर्टिफिकेशन लैब में 225 से अधिक आम की किस्मों पर शोध किया जा रहा है.
इस रिसर्च का मकसद है—ऐसी किस्म तैयार करना जिसमें शुगर कंटेंट कम हो, लेकिन स्वाद वही आम वाला हो.
कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला आम तैयार करने की दिशा में रिसर्च
बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर, कृषि क्षेत्र में नवाचार के लिए जाना जाता है. विश्वविद्यालय अब डायबिटिक मरीजों के लिए विशेष आम विकसित करने की दिशा में प्रयासरत है. इसके लिए टेस्टिंग एंड सर्टिफिकेशन लैब में 225 से अधिक आम की वैरायटी पर अध्ययन चल रहा है.
शोधकर्ता इन किस्मों में शुगर कंटेंट और ग्लाइसेमिक इंडेक्स की जांच कर रहे हैं. जिन आमों में शुगर कम पाई गई, उन्हें क्रॉस कर एक नई किस्म विकसित की जाएगी, जिसे डायबिटिक मरीज बिना चिंता के खा सकेंगे.
स्वाद के साथ सेहत भी—नई किस्म से बदल सकती है आम की पहचान
बीएयू के रिसर्चर चाहते हैं कि आम की ऐसी किस्म तैयार की जाए जो स्वाद में भी बेहतर हो और डायबिटीज के मरीजों के लिए नुकसानदायक भी न हो.
फलों के विभाग में इस समय विशेष रूप से कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली किस्मों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. इससे उम्मीद की जा रही है कि दो से तीन आम भी डायबिटिक पेशेंट सुरक्षित रूप से खा सकेंगे.
फल विभाग की प्रमुख रूबी रानी ने क्या कहा?
बीएयू में हाल ही में लगे आम प्रदर्शनी में मुंगेर विश्वविद्यालय के कुलपति संजय कुमार ने शुगर फ्री आम पर शोध की आवश्यकता जताई थी. इसके बाद बीएयू के कुलपति डॉ. डी.आर. सिंह ने इसे गंभीरता से लेते हुए रिसर्च को प्राथमिकता दी.
फल विभाग की एचओडी रूबी रानी ने स्पष्ट किया, “आम तो अपनी मिठास के लिए प्रसिद्ध है. यह पूरी तरह शुगर फ्री नहीं हो सकता, लेकिन हम उसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स काफी हद तक कम करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि शुगर पेशेंट भी इसका आनंद ले सकें.”
भागलपुरी जर्दालू आम से मिल रही प्रेरणा
विदेशों तक मशहूर भागलपुरी जर्दालू आम को इस रिसर्च का आधार बनाया गया है, क्योंकि इसमें पहले से ही शुगर कंटेंट कम पाया गया है. बीएयू के वाइस चांसलर डॉ. डी.आर. सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय में 250 प्रकार की आम की वैरायटी है, जिनमें से कई में स्वाभाविक रूप से शुगर की मात्रा कम होती है. इन्हीं किस्मों के क्रॉस ब्रीडिंग से एक नई शुगर-फ्रेंडली वैरायटी तैयार करने का प्रयास हो रहा है.
बाजार की बदलती मांग और सेहत के प्रति सजगता
आज के दौर में लोग कम शुगर वाली खाद्य सामग्री की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं. ऐसे में अगर कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला आम बाजार में उपलब्ध होता है, तो यह सिर्फ डायबिटिक मरीजों के लिए ही नहीं, बल्कि आम उपभोक्ताओं के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है. यह रिसर्च भारतीय कृषि और सेहत के क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकती है.