
Jagannath Yatra: उड़ीसा के पुरी शहर में श्रद्धा, परंपरा और भक्ति का भव्य संगम आज एक बार फिर देखने को मिला. विश्वप्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा का शुभारंभ हो गया है.
हर साल की तरह इस बार भी देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचे हैं, ताकि इस महायात्रा के साक्षी बन सकें. रथ यात्रा का पहला दिन अपने साथ लाता है आस्था की उमंग, परंपराओं का प्रदर्शन और एक ऐसा दृश्य जिसे देखकर मन श्रद्धा से भर जाता है.
राजा खुद करते हैं सफाई
रथ यात्रा की शुरुआत सबसे पवित्र परंपरा ‘छेरा पहरा’ से होती है. पुरी के गजपति महाराज दिव्य आभूषणों से सुसज्जित होकर सोने की झाड़ू से रथ के मार्ग की सफाई करते हैं.
यह परंपरा दर्शाती है कि ईश्वर के सामने राजा भी एक सेवक है. छेरा पहरा के दौरान महाराज रथ के नीचे झाड़ू लगाकर, फूल और चंदन का जल छिड़कते हैं. यह दृश्य श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत दिव्य और भावविभोर कर देने वाला होता है.
तीन रथों की होती है यात्रा
भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा तीन अलग-अलग रथों में सवार होकर श्रीमंदिर से निकलते हैं. भगवान जगन्नाथ का रथ ‘नंदीघोष’, बलभद्र का रथ ‘तालध्वज’ और सुभद्रा का रथ ‘दर्पदलन’ कहलाता है.
ये रथ हर साल नए सिरे से बनाए जाते हैं और लकड़ी, रंगों और शिल्पकला का अद्भुत प्रदर्शन होते हैं. हर रथ की अपनी अलग बनावट, रंग और विशेषता होती है.
मौसी के घर विश्राम
यह यात्रा लगभग तीन किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर तक जाती है, जिसे भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है. यहां भगवान एक सप्ताह तक विश्राम करते हैं और फिर वापस श्रीमंदिर लौटते हैं.
इस दौरान भगवान को विशिष्ट 56 भोग अर्पित किए जाते हैं, जिसमें मिठाई, खिचड़ी, सब्ज़ी और कई तरह के पकवान शामिल होते हैं.
सुरक्षा और आयोजन
जगन्नाथ रथ यात्रा में लाखों लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं. सैकड़ों पुलिसकर्मी, एनडीआरएफ की टीमें और मेडिकल स्टाफ 24 घंटे तैनात रहते हैं. ड्रोन से निगरानी की जाती है और सभी रास्तों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.