
नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के संस्थापक और दिग्गज नेता लालू प्रसाद यादव एक बार फिर निर्विरोध पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिए गए हैं.
लालू के नाम पर पार्टी में जश्न का माहौल है, लेकिन दूसरी ओर विपक्ष इसे “लोकतंत्र की हत्या” करार दे रहा है. आरोप है कि आरजेडी पूरी तरह से एक परिवार की जागीर बन चुकी है और पार्टी के भीतर लोकतंत्र नाम मात्र का है.
लोजपा (रामविलास) के सांसद अरुण भारती ने तीखा हमला बोलते हुए इसे “आंतरिक तानाशाही” का उदाहरण बताया है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब तेजस्वी यादव बार-बार आंतरिक लोकतंत्र की बात करते हैं, तो फिर लालू के खिलाफ कोई उम्मीदवार क्यों नहीं खड़ा हुआ?
विपक्ष का आरोप– RJD में लोकतंत्र नहीं, डर और दबाव का राज
लोजपा (रामविलास) के सांसद अरुण भारती ने कहा,
“तेजस्वी यादव दावा करते हैं कि उनकी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है, लेकिन लालू यादव के निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने से साफ है कि पार्टी में डर और दबाव का माहौल है.”
उन्होंने यह भी कहा कि RJD में कोई वरिष्ठ नेता इस कदर डरा हुआ है कि अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करने की हिम्मत नहीं कर पाया.
परिवार तक सिमट गई RJD?
आरजेडी में लंबे समय से लालू परिवार का वर्चस्व रहा है. पहले लालू यादव, फिर उनकी पत्नी राबड़ी देवी और अब तेजस्वी यादव पार्टी की प्रमुख भूमिका में रहे हैं. विपक्ष का कहना है कि पार्टी अब केवल एक परिवार की निजी संपत्ति बनकर रह गई है.
बीजेपी और जेडीयू ने भी इस घटनाक्रम पर निशाना साधते हुए कहा कि
“RJD में लोकतंत्र केवल मंचों की भाषा बनकर रह गया है, असल में पार्टी का पूरा नियंत्रण सिर्फ लालू परिवार के पास है.”
तेजस्वी यादव की चुप्पी पर उठे सवाल
तेजस्वी यादव ने इस पूरे घटनाक्रम पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिससे राजनीतिक गलियारों में उनकी चुप्पी को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. हालांकि, RJD के प्रवक्ताओं ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि
“लालू यादव पार्टी के लिए आज भी सबसे बड़ा नेतृत्व हैं, और उनके नाम पर पूरा संगठन एकजुट है.”
विपक्ष बना रहा है विधानसभा चुनाव की रणनीति
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए विपक्ष ने इस मुद्दे को भुनाना शुरू कर दिया है. बीजेपी, लोजपा और जेडीयू के रणनीतिकार इसे एक “परिवार केंद्रित पार्टी” के रूप में पेश कर जनता को यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि RJD में सामान्य कार्यकर्ता की कोई जगह नहीं है.
निष्कर्ष
लालू यादव का एक बार फिर निर्विरोध अध्यक्ष चुना जाना जहां पार्टी के लिए एकजुटता का संदेश है, वहीं विपक्ष इसे लोकतंत्र पर हमला बता रहा है.
अब देखना यह है कि क्या यह मुद्दा आने वाले चुनावों में RJD को राजनीतिक रूप से नुकसान पहुंचाएगा या पार्टी इसे एकजुटता की ताकत में तब्दील कर लेगी.