
नई दिल्ली: आत्महत्या के मामले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इन घटनाओं में पुरुषों की संख्या महिलाओं से लगभग तीन गुना अधिक है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, आत्महत्या करने वालों में लगभग 72 प्रतिशत पुरुष होते हैं। समाज में पुरुषों से उम्मीद की जाती है कि वे
मानसिक रूप से मजबूत रहें, लेकिन इसी धारणा के कारण वे अक्सर अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पाते और अकेलेपन का शिकार हो जाते हैं।
पुरुष आत्महत्या के प्रमुख कारण
1. भावनात्मक दमन:
पुरुष अक्सर अपनी भावनाओं को साझा नहीं करते, जिससे मानसिक दबाव बढ़ता है।
2. आर्थिक जिम्मेदारियां:
परिवार का भरण-पोषण और आर्थिक जिम्मेदारियां पुरुषों पर अधिक होती हैं, जो तनाव का कारण बनती हैं।
3. सामाजिक अपेक्षाएं:
समाज में पुरुषों को “मजबूत” बने रहने का दबाव होता है, जिससे वे अपनी परेशानियों को जाहिर नहीं कर पाते।
4. मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान न देना:
मानसिक समस्याओं को अक्सर कमजोरी माना जाता है, जिससे मदद लेने में हिचकिचाहट होती है।
कैसे पाएं आत्महत्या के विचारों पर काबू? विशेषज्ञों की राय
1. भावनाओं को साझा करें:
किसी करीबी मित्र, परिवार के सदस्य या काउंसलर से अपनी समस्याओं के बारे में खुलकर बात करें।
2. पेशेवर मदद लें:
अगर विचार लगातार परेशान कर रहे हैं, तो मनोवैज्ञानिक या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें।
3. सकारात्मक गतिविधियों में भाग लें:
नियमित व्यायाम, मेडिटेशन और रचनात्मक कार्य मानसिक तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं।
4. समर्थन समूह का हिस्सा बनें:
ऐसे समूहों से जुड़ें जहां लोग एक-दूसरे के अनुभव साझा करते हैं। इससे अकेलापन कम महसूस होता है।
सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं
पुरुषों को यह समझने की जरूरत है कि मानसिक स्वास्थ्य भी शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही महत्वपूर्ण है। अपनी भावनाओं को दबाने के बजाय उन्हें खुलकर व्यक्त करना चाहिए।
परिवार और समाज को भी चाहिए कि वे पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर बात करें और उनके लिए सहायक माहौल तैयार करें। आत्महत्या के विचारों पर काबू पाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम है – खुद को अकेला न समझें और मदद लेने में संकोच न करें।