
नई दिल्ली: Google ने अपनी डिवाइस फाइंडिंग सर्विस को अपग्रेड करते हुए इसका नाम बदल दिया है। पहले इसे Find My Device के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब इसका नया नाम Find Hub रखा गया है।
इस बदलाव के साथ ही कंपनी ने कई नए फीचर्स भी पेश किए हैं, जो यूजर्स के अनुभव को और बेहतर बनाएंगे।
नाम बदलने के पीछे की वजह
Google ने Find My Device का नाम बदलकर Find Hub इसलिए किया है ताकि सर्विस के दायरे को बेहतर तरीके से दर्शाया जा सके। पहले यह फीचर केवल खोए हुए फोन या टैबलेट की लोकेशन दिखाता था।
लेकिन अब इसमें कई नए अपडेट्स और डिवाइस सपोर्ट शामिल किए गए हैं। Find Hub नाम से यह स्पष्ट होता है कि यह सर्विस एक हब की तरह काम करेगी, जो कई डिवाइसों को ट्रैक करने में सक्षम होगी।
Find Hub: नए फीचर्स और सपोर्ट
Google ने Find Hub में कई नए फीचर्स जोड़े हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण अल्ट्रा वाइडबैंड (UWB) टेक्नोलॉजी है। यह तकनीक यूजर्स को सटीक ट्रैकिंग की सुविधा प्रदान करती है। अब Android यूजर्स Motorola के Moto डिवाइस को भी UWB की मदद से ट्रैक कर सकते हैं।
इसके अलावा, Google 2025 के अंत तक सैटेलाइट कनेक्टिविटी को भी जोड़ने की योजना बना रहा है, जिससे ट्रैकिंग क्षमता और मजबूत होगी।
Android ट्रैकर्स की चुनौतियां
हालांकि Google ने अपने ट्रैकिंग नेटवर्क को मजबूत किया है, लेकिन Android यूजर्स अब भी कुछ परेशानियों का सामना कर रहे हैं। प्रमुख समस्या यह है कि ट्रैकर्स से रियल-टाइम डेटा नहीं मिल पाता।
Apple के AirTag के मुकाबले Android डिवाइस अभी भी ट्रैकिंग में पीछे हैं। यूजर्स को थर्ड-पार्टी ट्रैकर के साथ समस्याएं हो रही हैं। Google का प्रयास है कि Find Hub के जरिए इन चुनौतियों को हल किया जाए।
लोकेशन शेयरिंग और ट्रैकिंग को अलग करने की योजना
Google ने Find Hub में एक और बड़ा बदलाव करने की योजना बनाई है। कंपनी लोकेशन शेयरिंग और डिवाइस ट्रैकिंग को अलग-अलग करने पर विचार कर रही है।
इसका उद्देश्य इन दोनों सेवाओं को बेहतर ढंग से मैनेज करना है, जिससे यूजर्स को रियल-टाइम और सटीक जानकारी मिल सके।
Google का मानना है कि इस बदलाव से यूजर्स को ज्यादा स्पष्टता और बेहतर अनुभव मिलेगा।
एंड्रॉयड यूजर्स के लिए फायदेमंद अपडेट
Find Hub के जरिए Google ने Android यूजर्स को Apple के AirTag के मुकाबले सशक्त बनाने का प्रयास किया है। नए फीचर्स और बेहतर ट्रैकिंग तकनीक से Android यूजर्स को अब अपने डिवाइस की सटीक लोकेशन और अधिक विकल्प मिल सकेंगे।
Google का यह कदम यूजर्स के लिए डिवाइस मैनेजमेंट को और भी आसान बना देगा।