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नई दिल्ली : 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले ने न सिर्फ देश के नागरिकों की जान ली, बल्कि हमारे कई वीर सपूतों को भी हमसे छीन लिया।
इस अमानवीय हमले के जवाब में भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर का संचालन किया — एक ऐसा मिशन जिसने भारत की रक्षा और मान को सर्वोपरि रखा।
इस ऑपरेशन के दौरान कई वीर सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति देकर यह सिद्ध कर दिया कि भारत की संप्रभुता के साथ कोई भी खिलवाड़ नहीं कर सकता।
आज, जब हम इन जाँबाज़ों को याद करते हैं, तो हमारी आँखें नम हैं, पर सीना गर्व से चौड़ा है।
हमारे अमर वीर:
1.🕯️ राइफलमैन सुनील कुमार (4-JAKLI) – त्रेवा, जम्मू
25 वर्षीय सुनील कुमार का सपना था देश सेवा, और उन्होंने अपने प्राण इसी पवित्र कर्म में न्यौछावर किए।
उनके पिता पूर्व सैनिक हैं, और दोनों बड़े भाई अभी भी सेना में सेवा दे रहे हैं — यह परिवार खुद एक फौज है।
त्रेवा गांव में जब तिरंगे में लिपटा उनका शव पहुंचा, तो मातम नहीं, देशभक्ति की पुकार गूंज रही थी।
उनकी शहादत ने उस गांव को गर्व और आंसुओं से एक साथ भर दिया।
2.🕯️ सूबेदार पवन कुमार (25 पंजाब रेजिमेंट) – कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश
पाकिस्तान की गोलाबारी में शहीद हुए सूबेदार पवन कुमार, रिटायरमेंट से बस कुछ ही महीनों की दूरी पर थे।
उनके पिता गराज सिंह भी सेना में हवलदार रहे हैं — देशभक्ति इस परिवार की विरासत है।
उनकी अंतिम पोस्टिंग अंबाला थी, लेकिन उन्होंने देश की रक्षा करते हुए शहादत को अपना अंतिम कर्तव्य बना लिया।
https://x.com/aviralsingh15/status/1921115191632171490?t=PSqCLKimX-9GHIXErrI3vQ&s=19
3.🕯️ अग्निवीर मुरली नाइक –आंध्र प्रदेश
देशसेवा का सपना लेकर सेना में शामिल हुए इस युवा ने अग्निपथ योजना के तहत भर्ती होकर 23 वर्ष की आयु में वीरगति प्राप्त की।
एक बेटे की शहादत, एक पिता की टूटी उम्मीद
आंध्र प्रदेश के श्री सत्य साई जिले के गोरंटला मंडल के कल्ली थांडा गांव का एक होनहार बेटा — मुदवथ मुरली नाइक — देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देकर अमर हो गया।
दिसंबर 2022 में अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में भर्ती होकर उन्होंने महाराष्ट्र के नासिक के देवलाली में सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त किया था।
और फिर 9 मई 2025, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, जम्मू-कश्मीर की एलओसी पर तैनाती के समय वे वीरगति को प्राप्त हो गए।
मुरली के परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद साधारण थी। वे लंबे समय से मुंबई के घाटकोपर (पूर्व) के कामराज नगर में भी रह रहे थे।
मुरली परिवार के इकलौते बेटे थे — और बुज़ुर्ग माता-पिता की आखिरी उम्मीद भी।
जब पाकिस्तान ने LOC पर हमला किया, तो भारत ने 86 घंटों में उसका मुँहतोड़ जवाब देकर उसे सीजफायर के लिए मजबूर कर दिया।
पर इस युद्ध में आंध्र प्रदेश के एक साधारण परिवार की दुनिया उजड़ गई।
मुरली नाइक की उम्र सिर्फ 23 साल थी। इतने कम उम्र में उन्होंने वीरता की वो मिसाल कायम की, जिसे देश हमेशा याद रखेगा।
उनकी मां ज्योति बाई और पिता आज बेसहारा हैं, लेकिन उनका बेटा अब पूरे देश का बेटा बन चुका है।
4.🕯️ दीपक चिंगखम (BSF) – मणिपुर
मणिपुर के लाल दीपक चिंगखम 11 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर में शहीद हो गए।
वे अपने परिवार में एकमात्र कमाने वाले थे — पिता बीमार हैं और छोटा भाई अभी छात्र है।
उनके पिता बोले, “बेटे की शहादत पर गर्व है,” लेकिन उस गर्व में एक पिता का टूटा दिल भी था।
दीपक ने 2021 में BSF जॉइन किया था — और 2025 में भारत माता के चरणों में अपना सब कुछ अर्पण कर दिया।
मणिपुर के इस वीर बीएसएफ जवान ने 11 मई को अंतिम साँस ली, जब वह पाकिस्तान की गोलीबारी में घायल हो गए थे।
5🕯️ लांसनायक दिनेश कुमार शर्मा –पलवल, हरियाणा
हरियाणा के पलवल निवासी दिनेश ने न सिर्फ देश की रक्षा की, बल्कि अपने पीछे एक गर्भवती पत्नी और दो मासूम बच्चों को छोड़कर अमरता को प्राप्त हुए।
दिनेश कुमार की अंतिम बातचीत थी:
“अब पुंछ जा रहा हूँ, फोन करना मुश्किल होगा…”
वे नहीं जानते थे कि यह उनके परिवार की उनसे अंतिम बात होगी।
पत्नी सीमा सात माह की गर्भवती हैं, बेटी काव्या 8 वर्ष की है और बेटा दर्शन मात्र 3 साल का।
उनके दोनों छोटे भाई भी अग्निवीर हैं — यह परिवार शहादत को कर्म मानता है।
6.🕯️ रामबाबू प्रसाद – बिहार के सीवान जिले से आने वाले इस नवविवाहित सैनिक ने अपनी शादी के तीन महीने बाद ही राष्ट्र के लिए अपने प्राण समर्पित किए।
तीन महीने पहले ही शादी हुई थी रामबाबू की — फरवरी में ड्यूटी पर लौटे थे।
9 मई को घायल हुए और 11 मई को शहीद हो गए।
उनके पिता रामविचार सिंह पंचायत के पूर्व उपमुखिया रहे हैं — और आज एक शहीद के पिता हैं।
विवाह का सिन्दूर अभी सूखा भी नहीं था कि विधवा का आँचल शोक में भीग गया।
7.🕯️सुरेंद्र कुमार (IAF मेडिकल विंग) – मंडावा, राजस्थान
14 वर्षों से भारतीय वायुसेना में सेवा दे रहे सुरेंद्र कुमार जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में पाकिस्तान की एयर स्ट्राइक में शहीद हो गए।
वे इलाके के पहले ऐसे जवान थे जिन्होंने मेडिकल विंग में रहकर सीमाओं पर भी जान की बाज़ी लगाई।
उनकी मां और पत्नी को अभी तक यह दुखद खबर नहीं दी गई — शायद शब्दों में वह पीड़ा कह पाना संभव नहीं है।
https://x.com/du_jat/status/1921485520900587833?t=oI5r6b0u–mweO6P7pNHuw&s=19
8.🕯️ सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज (BSF) – जम्मू-कश्मीर
अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तानी सेना की कायरतापूर्ण गोलीबारी में गंभीर रूप से घायल हुए सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए।
जैसे ही उनकी शहादत की खबर उनके गांव पहुंची, हर आंख नम हो गई।
इम्तियाज ने अपना सब कुछ देश के नाम कर दिया — जान तक भी।
उनकी शहादत आज हर देशवासी का सिर गर्व से ऊँचा कर देती है।
ऑपरेशन सिंदूर – शौर्य की गूँज
ऑपरेशन सिंदूर भारत का निर्णायक जवाब था — आतंकियों और उनके संरक्षकों को यह सख़्त संदेश देने के लिए कि भारत अपने नागरिकों और सैनिकों की शहादत व्यर्थ नहीं जाने देगा।
6-7 मई की रात भारतीय सेनाओं की संयुक्त कार्रवाई ने आतंक के अड्डों को नेस्तनाबूद कर दिया। देश ने देखा कि जब हमारे सैनिक आगे बढ़ते हैं, तो दुश्मन पीछे हटने पर मजबूर हो जाता है।
श्रद्धांजलि का संकल्प
इन वीरों की शहादत हमें सिर्फ दुख नहीं देती, बल्कि यह प्रेरणा बनती है — कर्तव्य, बलिदान और देशभक्ति की। हम हर उस परिवार के साथ खड़े हैं जिन्होंने अपना बेटा, पति, भाई या पिता खोया है… पर भारत को एक वीर रक्षक दिया।
Lucy National की ओर से तरफ के शहीदों को शत्-शत् नमन — आपकी कुर्बानी कभी भुलाई नहीं जाएगी। 🇮🇳
🙏 आप अमर हैं, आप हमारे दिलों में जीवित हैं।
🇮🇳 भारत माँ आपको नमन करती है।