
नई दिल्ली : मोदी सरकार द्वारा आगामी राष्ट्रीय जनगणना के साथ जाति-आधारित जनगणना कराने के फैसले के बाद राजनीतिक दलों में श्रेय लेने की होड़ मच गई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने इस फैसले का स्वागत करते हुए दावा किया कि यह उनके पिता लालू प्रसाद यादव के 30 वर्षों के संघर्ष का नतीजा है।
बिहार में पहले ही हो चुका है जातीय सर्वेक्षण
गौरतलब है कि बिहार में 2023 में राज्य सरकार ने जातीय सर्वेक्षण कराया था, जिसकी रिपोर्ट नवंबर में विधानसभा में पेश की गई।
सर्वे के अनुसार, राज्य की 13.07 करोड़ आबादी में ओबीसी और ईबीसी की हिस्सेदारी 63.13% है, जबकि सवर्णों की हिस्सेदारी 15.52% दर्ज की गई थी।
भाजपा बोली- कांग्रेस और राजद ने किया गुमराह
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बिहार भाजपा के नेता दिलीप जायसवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया और कहा कि अब सटीक जातीय आंकड़ों के आधार पर वंचित तबकों के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी। उन्होंने कांग्रेस और राजद पर जातीय जनगणना के नाम पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया।
पहली बार आज़ाद भारत में जाति के आधार पर जनगणना
भाजपा नेताओं ने इसे एक ऐतिहासिक निर्णय बताया और कहा कि आज़ादी से पहले ब्रिटिश शासन में जातिवार जनगणना होती थी, जिसे 1951 में कांग्रेस सरकार ने बंद करवा दिया था। अब पहली बार केंद्र की एनडीए सरकार ने इसे दोबारा लागू करने की दिशा में कदम उठाया है।