
नई दिल्ली: हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले और “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय प्रतिनिधिमंडलों को जो सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली, उसके मद्देनज़र अब इन्हें स्थायी रूप देने की योजना बन रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंगलवार को एक अनौपचारिक मुलाकात और भोजन के दौरान सांसदों ने इस पर अपनी राय रखी।
प्रधानमंत्री को सांसदों का सुझाव
भोजन के दौरान सांसदों ने प्रधानमंत्री मोदी के सामने यह प्रस्ताव रखा कि विदेशों में भारतीय दृष्टिकोण को मजबूती से रखने के लिए एक स्थायी प्रतिनिधिमंडल की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने इस सुझाव को सकारात्मक रूप में लिया और इसे लागू करने की दिशा में जल्द कार्रवाई का भरोसा दिया।
विदेशी दौरों के अनुभव साझा किए गए
उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, सांसदों ने अपने विदेशी दौरों के अनुभव साझा करते हुए बताया कि विभिन्न देशों में भारत की बात ध्यान से सुनी गई। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को न केवल अपनी बात रखने का अवसर मिला, बल्कि भारत की नीतियों पर उठे सवालों का उन्होंने सफलतापूर्वक उत्तर भी दिया।
संसदीय स्तर पर स्थायी संवाद की जरूरत
सांसदों का मानना है कि वैश्विक स्तर पर भारत की छवि और पक्ष को मजबूती देने के लिए, अन्य देशों के सांसदों के साथ नियमित और संरचित संवाद आवश्यक है। इसके लिए सभी दलों को साथ लेकर एक स्थायी कमेटी बनाने का सुझाव दिया गया है।
वैश्विक नैरेटिव में भारत की भूमिका को मिलेगा बल
यह प्रस्ताव इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका और स्थिति को स्पष्ट करने के लिए एक सुव्यवस्थित संवाद प्रणाली जरूरी है। सांसदों ने इसे “नैरेटिव बिल्डिंग” के लिहाज से बेहद अहम कदम बताया है।