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नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार शाम 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आधिकारिक आवास पर उन सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों की मेजबानी की, जिन्होंने हाल ही में कई देशों का दौरा किया था।
इन प्रतिनिधिमंडलों में विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद, पूर्व सांसद और वरिष्ठ राजनयिक शामिल थे।
विदेश दौरों के अनुभव साझा किए गए
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने प्रधानमंत्री को विदेश में हुई बैठकों और वहां के अनुभवों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस तरह आतंकवाद के खिलाफ भारत की सख्त नीति और वैश्विक शांति के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बना कूटनीतिक दबाव
यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब भारत, पहलगाम आतंकी हमले के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक रुख अपना चुका है। इस ऑपरेशन के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को आतंकवाद का पोषक बताकर उसे बेनकाब करने की कूटनीतिक रणनीति अपनाई।
प्रधानमंत्री का ट्वीट – ‘हमें गर्व है!’
मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा,
विभिन्न देशों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की। शांति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता की आवश्यकता पर चर्चा हुई। भारत की आवाज़ को सशक्त बनाने वाले सभी प्रतिनिधियों पर गर्व है।
प्रमुख सांसदों ने किया प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व
सात सांसदों के नेतृत्व में भेजे गए इन प्रतिनिधिमंडलों का उद्देश्य था—पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के मुद्दे पर बेनकाब करना। इन नेताओं में शामिल थे:
शशि थरूर (कांग्रेस)
रविशंकर प्रसाद (भाजपा)
संजय कुमार झा (जदयू)
बैजयंत पांडा (भाजपा)
कनिमोझी (DMK)
सुप्रिया सुले (NCP-एसपी)
श्रीकांत शिंदे (शिंदे गुट)
‘ऑपरेशन सिंदूर’: आतंकी ठिकानों पर सीधा वार
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन घाटी में पाक समर्थित आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला किया था, जिसमें 26 लोगों की जान गई। इसके बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया और 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया।
आने वाले संसद सत्र से पहले महत्वपूर्ण संदेश
यह बैठक मानसून सत्र से पहले बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि विपक्षी दल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष संसद सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं। वहीं, सरकार इसे अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने का एक रणनीतिक कदम मान रही है।