
नई दिल्ली : भारत के समुद्री अनुसंधान में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए देश का पहला मानवयुक्त गहरा समुद्री मिशन, ‘समुद्रयान’, जल्द ही समुद्र के रहस्यों को खंगालने के लिए लॉन्च होने वाला है। इस मिशन के अंतर्गत 6000 मीटर की गहराई तक जाकर समुद्र के गहन रहस्यों का पता लगाया जाएगा।
गहरे समुद्र मिशन का उद्देश्य
राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) के निदेशक बालाजी रामकृष्णन ने जानकारी दी कि इस मिशन का उद्देश्य गहरे समुद्र में छिपे संसाधनों का आकलन करना और समुद्री पर्यटन की संभावनाओं को तलाशना है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अधीन यह परियोजना गहरे समुद्र अनुसंधान में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।
‘समुद्रयान’ की विशेषताएँ
1. स्वदेशी तकनीक से विकसित:
यह पनडुब्बी पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है।
इसका वजन 25 टन है और यह चौथी पीढ़ी का यान है।
इसे अत्यधिक दबाव और तापमान का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है।
यान में टाइटेनियम से बना मजबूत पतवार है।
2. तीन वैज्ञानिकों की टीम:
समुद्रयान में तीन वैज्ञानिक समुद्र के रहस्यों का पता लगाने के लिए यात्रा करेंगे।
गोता लगाने और सतह पर लौटने में लगभग चार-चार घंटे का समय लगेगा।
3. गहरे समुद्र के नमूने एकत्र करेगा:
यह मिशन समुद्र की गहराई में जाकर महत्वपूर्ण नमूने एकत्र करेगा।
इन नमूनों से समुद्री जीवों और पानी की अनूठी विशेषताओं का अध्ययन किया जाएगा।
यह मिशन समुद्री संसाधनों के आकलन के साथ-साथ भविष्य के समुद्री पर्यटन की संभावनाओं को भी उजागर करेगा।
चरणबद्ध लॉन्चिंग प्रक्रिया
मिशन की शुरुआत इस साल के अंत तक 500 मीटर गहराई तक परीक्षण से होगी।
परीक्षण सफल रहने पर 2026 के अंत तक समुद्रयान को 6000 मीटर गहराई तक भेजा जाएगा।
मछली पालन में तकनीकी नवाचार
समुद्रयान मिशन के तहत एक नई तकनीक भी विकसित की गई है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक निगरानी वाले मछली पिंजरे शामिल हैं।
ये पिंजरे विशेष रूप से अपतटीय क्षेत्रों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
इनकी मदद से मछलियों के बायोमास, वृद्धि, गति और पानी की गुणवत्ता की निगरानी की जा सकेगी।
यह तकनीक गहरे समुद्र के पोषक वातावरण का लाभ उठाकर मछलियों की वृद्धि को अनुकूलित करेगी।
खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह तकनीक भारत के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
गहरे समुद्र अनुसंधान में गेम-चेंजर
NIOT के निदेशक बालाजी रामकृष्णन ने कहा कि यह मिशन भारत के गहरे समुद्र अनुसंधान में गेम-चेंजर साबित होगा। इससे समुद्री संसाधनों की खोज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से क्रांतिकारी बदलाव आएगा।
निष्कर्ष
‘समुद्रयान’ मिशन न केवल भारत के वैज्ञानिक और तकनीकी कौशल को दर्शाता है, बल्कि समुद्री संसाधनों के संरक्षण और उपयोग में भी एक नई दिशा प्रदान करेगा। इस मिशन के सफल होने से समुद्री अनुसंधान और भारत की खाद्य सुरक्षा में बड़ी उपलब्धि हासिल होगी।