
नई दिल्ली: बरसात का मौसम केवल हरियाली और ठंडक ही नहीं लाता, बल्कि यह उन लोगों के लिए भी सुनहरा मौका होता है जो खेती से अतिरिक्त आमदनी का रास्ता तलाश रहे होते हैं.
खेतों के साथ-साथ अब घर के छोटे से कोने में भी खेती का सपना साकार हो सकता है, वो भी मशरूम की खेती के जरिए. खासकर बरसात में, जब हवा में नमी अधिक और तापमान नियंत्रित होता है, यह खेती बेहद आसान और फायदेमंद बन जाती है.
मशरूम की खेती: हर वर्ग के लिए आसान विकल्प
मशरूम की खेती न केवल किसानों बल्कि नौकरीपेशा, गृहिणी, छोटे व्यापारी और यहां तक कि विद्यार्थियों के लिए भी बेहतर विकल्प बन रही है. इसे शुरू करने के लिए न तो बड़े खेत की जरूरत है और न ही भारी पूंजी की.
एक छोटा कमरा या घर का कोना भी पर्याप्त है. मशरूम की मांग शहरी बाजारों में तेजी से बढ़ रही है, जिससे इसकी बिक्री आसान और लाभदायक बनती जा रही है.
कैसे करें मशरूम की शुरुआत?
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के मशरूम विशेषज्ञ डॉ. हरविंदर कुमार सिंह के अनुसार, मशरूम की खेती के लिए गेहूं या धान की पैरा का उपयोग सबसे उपयुक्त होता है. खेती की प्रक्रिया इस प्रकार है:
10 किलो सूखे पैरा को एक रात में 100 लीटर पानी में भिगो दें और उसमें 2 से 2.5 किलो चूना मिलाएं.
12-14 घंटे बाद इसे छानकर हल्का सुखाएं ताकि नमी बनी रहे.
इसमें 1 किलो मशरूम बीज मिलाकर पॉलीथिन बैग में भरें और 2-3 छेद करें.
बैग को लटकाकर रखें. 15-20 दिन में बैग सफेद हो जाते हैं.
फिर उसमें ब्लेड से हल्का चीरा लगाएं और दिन में दो बार पानी दें.
एक सप्ताह में मशरूम निकलने लगते हैं और 10 दिन में पहली फसल तैयार हो जाती है.
लागत कम, मुनाफा ज्यादा
एक बैग से लगभग 800-900 ग्राम मशरूम प्राप्त होता है. 10 किलो पैरे से करीब 7-8 किलो तक उत्पादन संभव है. बाजार में मशरूम की कीमत औसतन 150-200 रुपए प्रति किलो रहती है.
मशरूम बीज की कीमत 120 रुपए प्रति किलो होती है. इससे स्पष्ट है कि थोड़े से प्रयास में ही मुनाफे की राह खुल जाती है.
स्वास्थ्य और आय दोनों में लाभ
मशरूम पोषक तत्वों से भरपूर होता है और शाकाहारी प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत है. इसका बाजार लगातार बढ़ रहा है और अब लोग इसे रेगुलर डाइट में शामिल कर रहे हैं. ऐसे में यह न केवल स्वास्थ्यवर्धक है, बल्कि आर्थिक रूप से भी मजबूत करने वाला विकल्प है.