
नई दिल्ली: राजस्थान के कोटा शहर में छात्रों द्वारा आत्महत्या की घटनाओं में लगातार वृद्धि ने देश की सर्वोच्च अदालत को भी चिंतित कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस गंभीर विषय पर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट ने जताई गहरी चिंता
सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति जेपी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की खंडपीठ ने कोटा में बढ़ते सुसाइड मामलों पर गहरी चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि 2024 में अब तक 14 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं, जो बेहद गंभीर और चिंताजनक स्थिति है।
‘केवल कोटा में ही क्यों हो रही हैं आत्महत्याएं?’ – कोर्ट का सवाल
कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वकील से कड़े शब्दों में पूछा कि आखिर ऐसा क्या कारण है कि आत्महत्या की घटनाएं सिर्फ कोटा में ही क्यों हो रही हैं? क्या सरकार ने कभी इस सामाजिक और मानसिक दबाव के कारणों की गहराई से जांच की?
राज्य सरकार की ओर से मिला जवाब
वकील ने बताया कि आत्महत्या की घटनाओं की जांच के लिए सरकार ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है, जो इन मामलों की तह तक जाने का प्रयास कर रहा है।
न्यायालय ने जताई नीतिगत कदमों की आवश्यकता
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि केवल जांच ही पर्याप्त नहीं है, सरकार को छात्र कल्याण और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर ठोस और दीर्घकालिक नीतिगत कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
निष्कर्ष
कोटा में आत्महत्या की बढ़ती घटनाएं न सिर्फ राज्य सरकार बल्कि पूरे समाज के लिए चिंता का विषय बन चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप इस दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।