
Tea Day 2025 : पानी के बाद अगर कोई पेय सबसे ज़्यादा पसंद किया जाता है, तो वह है चाय। यह लोकप्रियता में कॉफी और बीयर जैसे पेयों को भी पीछे छोड़ देती है। संयुक्त राष्ट्र ने चाय की इस वैश्विक अहमियत को पहचानते हुए हर साल 21 मई को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस घोषित किया है। यह दिन चाय के आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक योगदान को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।
चाय: एकता और आतिथ्य का प्रतीक
चाय सिर्फ एक पेय नहीं है, बल्कि यह कई संस्कृतियों का हिस्सा है। तिब्बत की ‘पो चा’ हो या ब्रिटेन की ‘अंग्रेजी ब्रेकफास्ट टी’, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चाय को अपनाया गया है। यह आपसी जुड़ाव और मेहमाननवाज़ी का प्रतीक मानी जाती है।
भारत में चाय का आगमन
भारत में चाय की शुरुआत ब्रिटिश काल में हुई। जब ब्रिटिश शासन के दौरान गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक 1834 में भारत आए, तो उन्होंने असम के स्थानीय लोगों को चाय की पत्तियों को उबालते देखा। उन्होंने चाय की खेती को बढ़ावा दिया और धीरे-धीरे चाय पूरे देश में लोकप्रिय हो गई। आज यह भारत की पहचान और दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है।
चाय की खोज एक संयोग से हुई थी
चाय की खोज का किस्सा चीन से जुड़ा है और यह लगभग 5000 साल पुराना माना जाता है। कहा जाता है कि 2732 ईसा पूर्व, चीन के सम्राट शेंग नुंग जब उबलता पानी पी रहे थे, तभी उसमें कुछ जंगली पत्तियां गिर गईं।
इससे पानी का रंग और खुशबू बदल गई। जब उन्होंने इसे चखा, तो स्वाद इतना पसंद आया कि उन्हें ताजगी और ऊर्जा का अहसास हुआ। इसी संयोग से चाय का जन्म हुआ, जिसे उन्होंने “चा-आ” नाम दिया।
टी बोर्ड शुरू करेगा चाय चखने का सर्टिफिकेट कोर्स
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत काम करने वाला टी बोर्ड जल्द ही एक नया सर्टिफिकेट कोर्स शुरू कर सकता है, जिसमें चाय चखने की विशेषज्ञता सिखाई जाएगी। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस पर बताया कि चाय उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए यह पहल की जा रही है।
युवाओं को मिलेगा रोजगार का अवसर
इस कोर्स के जरिए युवाओं को चाय उद्योग में काम करने का मौका मिलेगा। इसका उद्देश्य लोगों को चाय के स्वाद, बनाने और पीने की विधियों के बारे में गहराई से जानकारी देना है। यह चाय से जुड़ी साक्षरता को बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम है।
चाय पर्यटन को भी मिलेगा बढ़ावा
बर्थवाल ने बताया कि सरकार चाय पर्यटन को भी प्रोत्साहित कर रही है, जिससे देश और विदेश दोनों स्तरों पर चाय संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। यह प्रयास चाय निर्यात को भी मजबूत बना सकते हैं।
भारत काली चाय का सबसे बड़ा उत्पादक
भारत दुनिया में चाय उत्पादन में दूसरा सबसे बड़ा देश है और काली चाय के उत्पादन में पहला स्थान रखता है। इससे भारत को वैश्विक चाय बाजार में एक मजबूत स्थिति प्राप्त है।
दूसरा सबसे बड़ा चाय निर्यातक देश
भारत कीनिया के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चाय निर्यातक देश है। भारत 20 से अधिक देशों को चाय का निर्यात करता है। वित्त वर्ष 2024-25 में चाय निर्यात 92.3 लाख डॉलर का रहा, जो पिछले साल की तुलना में 11.84% अधिक है।
ग्रीन टी उत्पादन में भी तेजी
भारत में ग्रीन टी का उत्पादन भी पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। इस साल अप्रैल में चाय के निर्यात में 16% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस पर वाणिज्य मंत्रालय में चाय की विभिन्न किस्मों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई।
निष्कर्ष
चाय आज सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि एक भावना है जो दुनियाभर के लोगों को जोड़ती है। अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस हमें यह याद दिलाता है कि कैसे एक साधारण-सी पत्ती ने दुनिया को अपने स्वाद और संस्कृति से जोड़ दिया।