
नई दिल्ली: झारखंड के जमशेदपुर से आई एक ऐसी प्रेरणादायक कहानी जिसने यह साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो हालात रास्ता नहीं रोक सकते.
रोहित कुमार, जिन्होंने ठेले पर मोबाइल कवर बेचते हुए अपने सपनों को जिंदा रखा, आज NEET UG 2025 परीक्षा पास कर डॉक्टर बनने की दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं.
NEET में 549 अंक और ऑल इंडिया रैंक 12,484 हासिल कर चुके रोहित की संघर्षगाथा उन लाखों युवाओं के लिए एक सीख है, जो संसाधनों की कमी के कारण अपने सपनों को अधूरा छोड़ देते हैं.
उनका सफर न सिर्फ मेहनत और जुनून का उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि मुश्किलें चाहे जितनी भी हों, अगर चाह है तो राह निकल ही आती है.
तीसरे प्रयास में मिली कामयाबी
जमशेदपुर के साकची सना कॉम्प्लेक्स के बाहर अपने भाई के साथ ठेला लगाकर मोबाइल कवर बेचने वाले रोहित कुमार ने तीसरे प्रयास में नीट परीक्षा पास की.
उन्होंने NEET UG 2025 में 549 अंक प्राप्त कर ऑल इंडिया रैंक 12,484 हासिल की है. इस रैंक के आधार पर उन्हें झारखंड के किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिलने की संभावना है.
मुश्किल हालात, मगर अडिग हौसले
रोहित का सफर आसान नहीं था. उनके पिता पहले सब्जी मंडी में मजदूरी करते थे. आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण रोहित को 10वीं की परीक्षा एक प्राइवेट स्कूल से देनी पड़ी, जिसकी फीस महज 800 रुपये थी.
बाद में कोरोना काल में उन्होंने मेडिकल स्टोर पर काम करना शुरू किया, जहां से डॉक्टर बनने की प्रेरणा मिली और यहीं से उनकी जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया.
नींद से ज्यादा ज़रूरी बना सपना
रोहित ने बताया कि वह दिन भर मोबाइल कवर बेचने के बाद रात को 3 बजे तक पढ़ाई करते थे. सुबह 7 बजे उठकर फिर से काम पर लौट जाते थे. इसी दिनचर्या के साथ उन्होंने NEET की तैयारी की. उन्होंने “Physics Wala” के उस बैच से फ्री ऑनलाइन कोचिंग ली, जो आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को तैयारी में मदद करता है.
खुद की मेहनत, खुद की राह
NEET की तैयारी रोहित ने खुद से शुरू की. संसाधनों की कमी कभी रोड़ा नहीं बनी. वह कहते हैं, “जो करना है, वो करना है. बहाने नहीं चलेंगे.” रोहित ने दिखा दिया कि आत्मविश्वास और मेहनत के दम पर कोई भी ऊंचाई हासिल की जा सकती है.
अलख पांडे ने की सराहना
रोहित की इस प्रेरणादायक सफलता की खबर मिलते ही Physics Wala के संस्थापक और CEO अलख पांडे खुद उनसे मिलने उनके ठेले पर पहुंचे. उन्होंने रोहित को गले लगाकर बधाई दी और कहा कि “तुम जैसे बच्चे ही असली हीरो हो, जिन्होंने हालात से हार मानने के बजाय उन्हें बदलने की ठान ली.”
लाखों युवाओं के लिए मिसाल
रोहित कुमार की यह कहानी बताती है कि अगर आपके सपने सच्चे हैं और मेहनत में कोई कमी नहीं, तो असंभव कुछ भी नहीं. रोहित अब झारखंड के युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं और देशभर के लाखों छात्रों को यह विश्वास दिला रहे हैं कि कोई भी सपना बड़ा नहीं होता, बस उसे पूरा करने का जज़्बा होना चाहिए.