
नोएडा: इजराइल और ईरान के बीच चल रही जंग ने एक भयावह मोड़ ले लिया है. अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल ने पिछले 72 घंटों के भीतर ईरान के 224 आम नागरिकों की हत्या कर दी है. ये हमले ड्रोन और मिसाइल अटैक्स के जरिए हुए हैं. रिपोर्ट का दावा है कि हर घंटे करीब 4 ईरानी नागरिक इजराइली हमलों में मारे जा रहे हैं.
रविवार 15 जून से बुधवार 18 जून तक की इस अवधि में राजधानी तेहरान और उसके आसपास सबसे ज्यादा हमले दर्ज किए गए हैं. मरने वालों में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. हालांकि, ईरानी स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया है, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात काफी गंभीर बताए जा रहे हैं.
इजराइल की खामोशी, ईरान का गुस्सा
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, इजराइल फिलहाल इन हमलों और हत्याओं पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दे रहा है. जबकि ईरान लगातार यह दावा करता रहा है कि वह आम नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता. बावजूद इसके, जमीन पर हो रही घटनाएं इससे ठीक उलट हैं.
जंग की मार: दिल तोड़ने वाली कहानियां
रिपोर्ट में 6 आम नागरिकों की मौत की अलग-अलग कहानियों का ज़िक्र किया गया है. 24 साल के कवि परनिया अब्बासी की मौत उनके 24वें जन्मदिन से ठीक एक दिन पहले हो गई. वहीं, एक 8 साल की बच्ची, जो अपने माता-पिता के साथ एक डेंटल क्लिनिक में थी, इजराइली मिसाइल की चपेट में आ गई.
इसके अलावा 28 वर्षीय घुड़सवारी चैंपियन और एक ग्राफिक डिज़ाइनर की मौत की भी पुष्टि हुई है. इन मौतों ने ईरानी समाज को गहरे सदमे में डाल दिया है.
वैज्ञानिक और 10 सैन्य अधिकारी भी मारे गए
इजराइल की कार्र9 परमाणुवाई केवल आम नागरिकों तक सीमित नहीं रही. रिपोर्ट बताती है कि इजराइल अब तक ईरान के 9 परमाणु वैज्ञानिकों और लगभग 10 सैन्य अधिकारियों को भी मार चुका है. इनमें वे वैज्ञानिक शामिल हैं जो ईरान के न्यूक्लियर प्रोजेक्ट से सीधे तौर पर जुड़े हुए थे.
इजराइल का साफ कहना है कि वह किसी भी सूरत में ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने देगा. वहीं, अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी IAEI का दावा है कि ईरान अब तक 9 परमाणु हथियार बनाने के लिए पर्याप्त यूरेनियम जमा कर चुका है.
निष्कर्ष
जंग का रुख अब केवल सैन्य ठिकानों से हटकर आम नागरिकों की ओर मुड़ गया है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी और इजराइल की आक्रामकता ने इस संकट को और गहरा कर दिया है. यदि जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला, तो मानवीय संकट और भी भयावह हो सकता है.