
नई दिल्ली: मां बनने का अनुभव महिला के जीवन में एक बड़ा मोड़ होता है. गर्भावस्था न सिर्फ भावनात्मक रूप से बल्कि शारीरिक और हार्मोनल रूप से भी एक बड़े बदलाव की प्रक्रिया है. लेकिन इसके बाद कई महिलाएं एक सवाल को लेकर चिंतित रहती हैं—क्या डिलीवरी के बाद पीरियड्स का दर्द कम हो जाता है?
इस सवाल का जवाब सीधा नहीं है, क्योंकि यह पूरी तरह से महिला के शरीर की प्रकृति, डिलीवरी के तरीके और उसकी मेडिकल हिस्ट्री पर निर्भर करता है. फिर भी, मेडिकल एक्सपर्ट्स और अनुभवजन्य अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि डिलीवरी के बाद कई महिलाओं को माहवारी में पहले से कम ऐंठन और दर्द का अनुभव होता है. आइए जानते हैं क्यों.
गर्भावस्था के दौरान शरीर में होते हैं बड़े बदलाव
गर्भावस्था के दौरान महिला का गर्भाशय कई गुना बड़ा हो जाता है और डिलीवरी के समय ये तरबूज जितना आकार ले सकता है. इस दौरान गर्भाशय की मांसपेशियां खिंचती हैं और लचीलापन विकसित होता है. डिलीवरी के बाद जब ये मांसपेशियां अपनी सामान्य स्थिति में लौटती हैं, तो कई बार पीरियड्स के दौरान होने वाली ऐंठन कम हो जाती है.
डिलीवरी का तरीका भी तय करता है दर्द की तीव्रता
नॉर्मल डिलीवरी के बाद, पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों में जो बदलाव आते हैं, वे माहवारी के समय दर्द को कम कर सकते हैं. वहीं अगर सी-सेक्शन हुआ हो, तो शुरुआती महीनों में कुछ महिलाओं को ज्यादा दर्द या असामान्य ब्लीडिंग का अनुभव हो सकता है. हालांकि समय के साथ ये स्थितियां सामान्य हो जाती हैं.
एंडोमेट्रियोसिस और पीसीओडी में मिल सकती है राहत
यदि महिला को पहले से एंडोमेट्रियोसिस या पीसीओडी की समस्या रही हो, तो प्रेग्नेंसी के बाद उसमें सुधार देखा जा सकता है. प्रेग्नेंसी के दौरान पीरियड्स का रुकना एंडोमेट्रियल टिशू की ग्रोथ को सीमित करता है, जिससे भविष्य में दर्द में कमी आ सकती है.
कुछ महिलाओं को हो सकता है अधिक दर्द भी
यह ज़रूरी नहीं कि हर महिला को डिलीवरी के बाद राहत मिले. कुछ मामलों में पीरियड्स पहले से ज़्यादा दर्दनाक या अनियमित हो सकते हैं. यह हार्मोनल असंतुलन, उम्र, जीवनशैली और स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है. डॉक्टरों की मानें तो अगर दर्द असहनीय हो या चक्र अत्यधिक अनियमित हों, तो गाइनोकोलॉजिस्ट से सलाह लेना ज़रूरी है.
निष्कर्ष: एक समान जवाब नहीं, लेकिन उम्मीद की किरण ज़रूर
प्रेग्नेंसी के बाद पीरियड्स के अनुभव में बदलाव आम बात है. कुछ महिलाओं को राहत मिलती है, कुछ को नई चुनौतियां झेलनी पड़ती हैं. लेकिन यह तय है कि शरीर की प्रकृति और चिकित्सा सहायता से इस अनुभव को बेहतर बनाया जा सकता है.