
नई दिल्ली : भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात BSF जवान पूर्णम कुमार को पाकिस्तान ने भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया है। पूर्णम कुमार, जो पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के रिसड़ा के निवासी हैं, 23 अप्रैल को गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान की सीमा में चले गए थे।
ड्यूटी के दौरान अनजाने में सीमा पार करने के कारण पाकिस्तान रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। 21 दिनों की लंबी प्रतीक्षा के बाद उनकी सुरक्षित वापसी से परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई है।
गर्भवती पत्नी की प्रतिक्रिया: “मोदी हैं तो मुमकिन है”
जवान पूर्णम कुमार की पत्नी ने उनके सुरक्षित लौटने पर खुशी जाहिर की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया। उन्होंने अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा,
आज सुबह जब हमें फोन आया कि चिंता मत कीजिए, आपके पति भारत आ गए हैं और वे बिल्कुल ठीक हैं, तो हम बहुत खुश हुए। मैंने अपने पति से भी बात की और वह शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं।
उन्होंने इस कठिन समय में सहयोग के लिए सीएम ममता बनर्जी का भी आभार जताया। ममता बनर्जी ने परिवार को आश्वासन दिया था कि जवान की जल्द वापसी होगी।
पिता की प्रतिक्रिया : फिर देश की सेवा करेगा बेटा
पूर्णम कुमार के पिता भोलानाथ साव ने बेटे की सुरक्षित वापसी पर केंद्र और राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा,”अब जब मेरा बेटा वापस आ गया है, तो मैं चाहूंगा कि वह एक बार फिर देश की सेवा करे।”
परिवार के लिए पिछले दो हफ्ते अनिश्चितता और चिंता से भरे रहे। जवान की सुरक्षित वापसी से परिवार ने राहत की सांस ली।
अटारी बॉर्डर से पहला वीडियो
वतन लौटने के बाद अटारी-वाघा सीमा से पूर्णम कुमार का पहला वीडियो भी सामने आया। वीडियो में सीमा पर कुछ गाड़ियों का काफिला नजर आ रहा है। BSF के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि पाकिस्तान रेंजर्स ने पूर्णम कुमार को बुधवार सुबह 10:30 बजे पंजाब के अटारी-वाघा सीमा पर भारत के सुपुर्द कर दिया। यह प्रक्रिया शांतिपूर्ण ढंग से प्रोटोकॉल के तहत पूरी हुई।
ड्यूटी के दौरान गलती से पार की थी सीमा
23 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के एक दिन बाद, फिरोजपुर जिले में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास ड्यूटी के दौरान गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान में प्रवेश कर गए थे। इसके बाद उन्हें पाकिस्तान रेंजर्स ने हिरासत में ले लिया था।
सुरक्षित वापसी से उत्साह
पूर्णम कुमार की वापसी से उनके परिवार और गांव में जश्न का माहौल है। उनकी गर्भवती पत्नी और पिता ने राहत की सांस ली और प्रधानमंत्री मोदी तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आभार व्यक्त किया। पूर्णम कुमार की कहानी न केवल साहस और समर्पण का प्रतीक है बल्कि परिवार की उम्मीद और विश्वास की भी जीत है।