
नई दिल्ली: भारत के मॉनसून सिस्टम में अहम भूमिका निभाने वाली ट्रफ लाइन अब उत्तर दिशा की ओर खिसक गई है. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इस बदलाव से उत्तर और मध्य भारत में बारिश की संभावनाएं तेज़ हो गई हैं.
दिल्ली समेत कई राज्यों में जहां अब तक मानसून की दस्तक का इंतजार था, वहां आने वाले दिनों में झमाझम बारिश देखने को मिल सकती है.
पिछले हफ्ते दिल्ली में बादल तो छाए रहे लेकिन खुलकर बारिश नहीं हुई. इसकी वजह मध्य और ऊपरी वायुमंडल में बना एंटीसाइक्लोनिक रिज बताया गया था.
लेकिन अब जब ट्रफ लाइन उत्तर भारत की ओर सरक गई है, तो यह रिज कमजोर पड़ रहा है. नतीजा—जल्द ही दिल्ली और आसपास के इलाकों में मॉनसून के जोर पकड़ने की संभावना है.
मॉनसून ट्रफ क्या है?
मॉनसून ट्रफ एक निम्न दबाव की रेखा होती है, जो उत्तर-पश्चिम भारत से बंगाल की खाड़ी तक फैली होती है. यह रेखा मानसून के दौरान नमी को अपने साथ खींचकर बादलों के निर्माण और बारिश में अहम भूमिका निभाती है.
इस ट्रफ की दिशा उत्तर और दक्षिण की ओर बदलती रहती है, जिससे देश के विभिन्न हिस्सों में बारिश की तीव्रता और समय प्रभावित होता है.
उत्तर की ओर खिसकी ट्रफ लाइन का क्या असर होगा?
मौसम विभाग के अनुसार, ट्रफ लाइन अब उत्तर की ओर पहुंच चुकी है. इसके चलते दक्षिण-पूर्वी हवाओं के ज़रिये नमी का प्रवाह उत्तर भारत की ओर बढ़ा है, जिससे चक्रवाती गतिविधियां तेज़ हो गई हैं. इस बदलाव से अगले 7 दिनों तक उत्तर, मध्य, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत में भारी वर्षा का अनुमान है.
विशेष रूप से उत्तर भारत के कृषि-प्रधान राज्यों—पंजाब, हरियाणा, बिहार और उत्तर प्रदेश—को इसका सीधा फायदा मिलेगा. मिट्टी में नमी बढ़ेगी, जिससे धान और दूसरी खरीफ फसलों की बुआई में तेजी आएगी.
मानसून की रफ्तार के पीछे कौन से कारक हैं?
ट्रफ लाइन में बदलाव के पीछे कई मौसमी और वैश्विक कारण हैं:
अरब सागर में बने कम दबाव के क्षेत्र ने नमी के बहाव को तेज़ किया.
विदर्भ क्षेत्र में सक्रिय ट्रफ, जिसने मानसून को मध्य भारत से उत्तर की ओर धकेला.
पश्चिमी हिमालय में बर्फ की कमी, जिससे उत्तर दिशा में ट्रफ को बढ़त मिली.
अल-नीनो की तटस्थ स्थिति, जो मानसूनी गतिविधियों के लिए अनुकूल है.
मस्कारेन हाई जैसे समुद्री प्रभाव, जो दक्षिणी हिंद महासागर से हवाओं को प्रभावित करते हैं.
बंगाल की खाड़ी में बने लो प्रेशर सिस्टम ने पूर्वी भारत में नमी और ऊर्जा का स्तर बढ़ाया, जिससे ट्रफ लाइन को ऊपर खींच लिया गया.
जलभराव और बाढ़ की चेतावनी भी जरूरी
हालांकि बढ़ी हुई वर्षा से खेती को लाभ होगा, लेकिन निचले इलाकों में जलभराव और शहरी क्षेत्रों में ट्रैफिक जाम जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं. मौसम विभाग ने कुछ राज्यों में बाढ़ की चेतावनी भी दी है.
निष्कर्ष
ट्रफ लाइन का उत्तर की ओर शिफ्ट होना एक सकारात्मक संकेत है कि देश के बड़े हिस्से में मानसून सक्रिय होने वाला है. खासकर दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में मॉनसून अब ज्यादा दिन दूर नहीं है.
यह बदलाव न केवल खेती के लिहाज से अहम है, बल्कि मॉनसूनी व्यवस्था को समझने में भी एक महत्वपूर्ण संकेतक बनकर उभरा है.