
नई दिल्ली: शादी हर इंसान की ज़िंदगी का सबसे यादगार और भावनात्मक दिन होता है। हर कोई चाहता है कि यह दिन खूबसूरत और खास हो। इसी वजह से इसकी तैयारियाँ महीनों पहले शुरू हो जाती हैं। शादी के साथ ही एक नए जीवन की शुरुआत होती है, जहां दो दिल और दो परिवार एक हो जाते हैं।
शादी से पहले की रौनक और रस्में
शादी से पहले घर में कई रस्में और फंक्शंस होते हैं – हल्दी, संगीत, और अब तो बैचलर पार्टी का चलन भी बढ़ गया है, खासकर शहरों में। घरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है, रिश्तेदारों की भीड़ जुटती है और हर कोना हंसी-ठिठोली से गूंजने लगता है।
मेहंदी की रस्म: हर दुल्हन के श्रृंगार की पहचान
शादी की रस्मों में मेहंदी की रस्म का खास स्थान होता है। यह सिर्फ सजावट नहीं, बल्कि एक पवित्र परंपरा मानी जाती है। शादी से पहले दुल्हन के हाथों और पैरों पर खूबसूरत मेहंदी रचाई जाती है। मान्यता है कि अगर मेहंदी का रंग गहरा हो, तो पति पत्नी से खूब प्रेम करेगा।
हर धर्म में मेहंदी की अहमियत
मेहंदी लगाने की परंपरा सिर्फ हिंदू धर्म में नहीं, बल्कि मुस्लिम, सिख, और अन्य धर्मों में भी निभाई जाती है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी उतनी ही भावनात्मक और सांस्कृतिक महत्ता रखती है।
कब शुरू हुई मेहंदी लगाने की परंपरा?
क्या आपने कभी सोचा है कि मेहंदी लगाने की शुरुआत कब हुई? इसका इतिहास क्या है? क्यों इसे शादी और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है? दरअसल, मेहंदी लगाने की परंपरा भारत और मध्य एशिया में हजारों साल पुरानी है, जिसे औषधीय और सांस्कृतिक दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण माना गया है।